गुरुवार, 19 जुलाई 2018

पाकिस्तान के दो चुनावों में कीमा वाला नान का असर रहा, नवाज शरीफ ने इसी के बूते वोटरों पर पकड़ मजबूत की थी

यूं तो लाहौर की गलियों में कीमा वाला नान की हमेशा डिमांड रहती है, लेकिन चुनावी दौर में उनका कारोबार ठप पड़ जाता है। इस बार आम चुनाव 25 जुलाई को हैं। तब तक नान बेचने वाले कई दुकानदारों ने घर बैठने का फैसला किया है। वजह यह है कि लोगों को लगता है कि चुनावी मौसम में राजनीतिक दल कीमा वाला नान की मुफ्त दावतें देंगे, इसलिए वे दुकान जाकर इसे नहीं खरीदते। बड़े दुकानदाराें को सियासी दलों से ही कॉन्ट्रैक्ट मिल जाते हैं।

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