
बोतलबंद पानी बाजार में हमें कम से कम 10 से 12 रुपए प्रतिलीटर मिल रहा है। बड़ी ब्रैंड का तो 15-20 रुपए प्रति लीटर। इसमें लगी शीर्ष की सिर्फ 5 कंपनियां सालाना 160 अरब रु. कमा रही हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि इसके लिए ये विभिन्न राज्यों से पानी तो लेती हैं, लेकिन इसके बदले में सरकार को एक रुपया भी नहीं देती हैं। यानी ये मुफ्त में अरबों रुपए का धंधा कर रही हैं। यह इसलिए चिंता की बात है क्योंकि सरकार की ही रिपोर्ट कहती है कि अगले तीन साल में बोतलबंद पानी के कारण 21 बड़े शहरों में ग्राउंड वॉटर लेवल शून्य पर आ जाएगा।
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