रविवार, 26 अगस्त 2018

2019 के ऑर्केस्ट्रा के लिए ड्रम सेट करते अधिराज और युवराज- कुमार विश्वास की व्यंग्य श्रृंखला

अटलजी के जाने के बाद हाजी पंडित के साथ अटलजी के बारे में बातों के कई दौर चले। कल कहने लगे, तुमने तो चैनल-चैनल घूमकर शोक जता लिया महाकवि। उधर उनके वंशज कलश लिए अपनी संवेदना अलग-अलग नदियों में अर्पित कर रहे हैं। मेरे जैसे लोग कहां जाएं अपनी बात कहने।’ मैंने कहा, ‘गए तो थे तुम भी बोलने उस दिन वीर चौक पर श्रद्धांजलि सभा में।’ हाजी किलसे, ‘अरे वो भी कोई श्रद्धांजलि सभा थी। कमबख्तों ने प्रचार सभा बनाकर रख दिया था। मैं तो लौट आया बिना बोले।’ मैंने कहा, ‘देखो हाजी, राजनीति तो होगी ही।

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