71 साल में तूफान-बाढ़ जैसी आपदाओं से छह लाख करोड़ का नुकसान
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजास्टर मैनेजमेंट के हाइड्रो मेटेरियोलॉजी हजार्ड डिविजन के प्रमुख सूर्य प्रकाश ने कहा कि बाढ़ से आर्थिक हानि लगातार बढ़ रही है और यदि इसके लिए पर्याप्त उपाय न किए गए तो और बढ़ता जाएगा। हालांकि निगरानी बढ़ने और सूचना प्रवाह के चलते जनहानि में कमी आई है। नॉलेज: बांधों ने बढ़ा दी बाढ़ की आपदा: यमुना जिए अभियान के मनोज मिश्र ने कहा कि ऐसा नहीं है कि पहले बाढ़ नहीं आती थीं। छोटी, बड़ी हर तरह की बाढ़ आती थीं, लेकिन बांधों ने नदियों की स्वच्छंदता छीन ली। बांध बनने से अब छोटी-छोटी बाढ़ नहीं आती, क्योंकि छोटी बाढ़ों को बांधों के पीछे खड़ा कर दिया। पानी को न आता देख नदियों को संकरा कर हम बाढ़ क्षेत्र में घुस गए, बस्तियां बसा दीं, एयरपोर्ट खोल दिए, क्योंकि हम तो यह मानते रहे कि बांध हमें बचाएगा, लेकिन जब बांध पानी रोक पाने में असमर्थ होता है तो वह बड़े विकराल रूप में सामने आता है। जो बाढ़ बिना बांध के धीरे-धीरे आती थी, वह आनन-फानन में आ जाती है।
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