अटल बिहारी वाजपेयी: एक भावुक राजनेता का जाना
अटलजी। एक कवि। एक ओजस्वी वक्ता। एक ईमानदार, स्वच्छ और अटल, किंतु भावुक राजनेता। बारह बार के सांसद। दस बार लोकसभा। दो बार राज्यसभा। 1957 से शुरू हुई संसदीय राजनीति में जब भी संसद नहीं पहुंचे, विपक्ष ने भी अंतर्मन से पूछा- अटलजी कहां हैं? अबकी बारी, अटल बिहारी। यह नारा भारत का बच्चा-बच्चा जानता है। अटलजी के साथ यह नारा भी शायद अनंत में खो गया है।
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