प्रदेश निर्यातकों के 1200 करोड़ रुपए अटके9
इंदौर रीजन के एक्सपोर्टस के भी 500 करोड़ उलझे
विकास मिश्रा, इंदौर
केंद्र सरकार द्वारा पूरे देश में एक समान कर प्रणाली लागू करने के लिए एक जुलाई 2017 को वस्तू और सेवा कर (जीएसटी) लागू किया था। 11 महीने बीतने के बाद भी इसकी तकनीकी परेशानियां खत्म नहीं हो रही है। आम व्यापारी और उद्योगपियों के साथ ही निर्यातकों को भी खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। निर्यातकों को मिलने वाले रिफंड की व्यवस्था पुख्ता नहीं होने से सिर्फ मध्यप्रदेश के निर्यातकों के करीब 1200 करोड़ रुपए अटके हैं। इसमें से करीब 700 करोड़ केंद्र सरकार से और 500 करोड़ रुपए का रिफंड राज्य सरकार को एक्सपोटर्स को देना है। फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्टस आर्गनाइजेशन (फिओ) ने यह आंकड़ा जारी किया है। यदि सिर्फ इंदौर रीजन की बात करें तो यहां के एक्सपोटर्स का करीब 500 करोड़ रुपए अब तक रिफंड नहीं हो सके हैं। पूरे देश के निर्यातकों की बात करें तो करीब 40 हजार करोड़ की रिफंड राशि फिलहाल अटकी हुई है। सरकार जुलाई से ही इस परेशानी को हल कर ने की बात कर रही है, लेकिन अभी भी हालांति ठीक नहीं है। निर्यातकों के लगातार दबाव के बाद जीएसटी काउंसिल शिविर लगाकर इन समस्याओं का निराकरण कर रही है। सात दिन का एक शिविर में अप्रैल में लगा था, जबकि एक पखवाड़ा इस माह आयोजित किया जा रहा है।
उत्पादन में 35 फीसदी की गिरावट
फिओ के क्षेत्रीय निदेशक राजीव भाटिया ने बतााय, निर्यातकों को जीएसटी रिफंड नहीं मिलने से उनकी वर्र्किंग केपिटल फंस (पूंजी) गई है जिससे उत्पादन में भी कमी आई है। देश भर में किए गए सर्वे के अनुसार करीब 30 से 35 प्रतिशत उत्पादन पिछले 11 महीनों में गिरा है। यदि मध्यप्रदेश के निर्यातकों की बात करें तो सबसे अधिक असर फार्म, ऑटो कम्पोनेंट, सोयाबीन, आईटी सेक्टर, रेडीमेड गारमेंट, इलेक्ट्रॉनिक्स, एल्यूमीनियम और लेदर टॉयज कारोबार पर पड़ रहा है।यदि इंदौर रीजन से निर्यात की बात करें तो सबसे अधिक प्रभाव पीथमपुर की औद्यौगिक ईकाईयों पर हुआ है। यहां से करीब १५०० ईकाईयां हैं जिनसे बड़ी मात्रा में निर्यात किया जाता है। स्पेशल इकॉनॉमी जोन (सेज) में फार्मा की ५० बड़ी कंपनियां उत्पादन करती हैं और पूरा निर्यात ही करती हैं। इन सभी का रिफंड अटका हुआ है।
जीएसटी लागू होने के बाद से निर्यातकों को रिफंड मिलने में काफी परेशानी आ रही है। काउंसिल ने पिछले दिनों सात दिन का जीएसटी क्लीयरेंस शिविर लगाया था, जिससे कुछ पैसा मिला है लेकिन अभी भी अधिकांश राशी नहीं मिल सकी है। रिफंड को लेकर जो पेचिदगियां है उन्हें आसान करने की जरूरत है। केंद्र और राज्य सरकार के जिम्मेदारों के बीच तालमेंल की कमी के कारण यह परेशानी आ रही है।
राजीव भाटीया
क्षेत्रिय निदेशक, फिओ
11 महीने से अधिक का समय बीतने के बाद भी जीएसटी को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है। निर्यातकों के रिफंड को लेकर केंद्र और राज्य सरकार के नोडल विभाग की उदासीनता के कारण यह हालात बन रहे हैं। सरकार ने सारी व्यवस्था ऑनलाइन करने की बात कही है, लेकिन कुछ काम अभी भी मैन्युअल हो रहे हैं जिससे परेशानी आती है।
सोमनाथ शिंदे जीएसटी विशेषज्ञ
जीएसटी लागू होने के बाद से निर्यातकों को काफी परेशानी हो रही है। जुलाई के बाद से हमारी कंपनी का करीब ७ करोड़ रुपए का रिफंड अटका था, लंबी मशक्कत के बाद दो दिन पहले 2.50 करोड़ रुपए मिले है। 4.50 करोड़ रुपए अभी भी बाकी है। हालात पहले से सुधरे हैं लेकिन काउंसिल रिफंड को लेकर आ रही तकनीकि समस्याओं का जल्द निराकरण करे तो बेहतर होगा।
संदीप वर्मा एमडी, मान एल्यूमीनियर लिमिटेड, पीथमपुर
READ SOURCE रिपोर्ट
विकास मिश्रा, इंदौर
केंद्र सरकार द्वारा पूरे देश में एक समान कर प्रणाली लागू करने के लिए एक जुलाई 2017 को वस्तू और सेवा कर (जीएसटी) लागू किया था। 11 महीने बीतने के बाद भी इसकी तकनीकी परेशानियां खत्म नहीं हो रही है। आम व्यापारी और उद्योगपियों के साथ ही निर्यातकों को भी खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। निर्यातकों को मिलने वाले रिफंड की व्यवस्था पुख्ता नहीं होने से सिर्फ मध्यप्रदेश के निर्यातकों के करीब 1200 करोड़ रुपए अटके हैं। इसमें से करीब 700 करोड़ केंद्र सरकार से और 500 करोड़ रुपए का रिफंड राज्य सरकार को एक्सपोटर्स को देना है। फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्टस आर्गनाइजेशन (फिओ) ने यह आंकड़ा जारी किया है। यदि सिर्फ इंदौर रीजन की बात करें तो यहां के एक्सपोटर्स का करीब 500 करोड़ रुपए अब तक रिफंड नहीं हो सके हैं। पूरे देश के निर्यातकों की बात करें तो करीब 40 हजार करोड़ की रिफंड राशि फिलहाल अटकी हुई है। सरकार जुलाई से ही इस परेशानी को हल कर ने की बात कर रही है, लेकिन अभी भी हालांति ठीक नहीं है। निर्यातकों के लगातार दबाव के बाद जीएसटी काउंसिल शिविर लगाकर इन समस्याओं का निराकरण कर रही है। सात दिन का एक शिविर में अप्रैल में लगा था, जबकि एक पखवाड़ा इस माह आयोजित किया जा रहा है।
उत्पादन में 35 फीसदी की गिरावट
फिओ के क्षेत्रीय निदेशक राजीव भाटिया ने बतााय, निर्यातकों को जीएसटी रिफंड नहीं मिलने से उनकी वर्र्किंग केपिटल फंस (पूंजी) गई है जिससे उत्पादन में भी कमी आई है। देश भर में किए गए सर्वे के अनुसार करीब 30 से 35 प्रतिशत उत्पादन पिछले 11 महीनों में गिरा है। यदि मध्यप्रदेश के निर्यातकों की बात करें तो सबसे अधिक असर फार्म, ऑटो कम्पोनेंट, सोयाबीन, आईटी सेक्टर, रेडीमेड गारमेंट, इलेक्ट्रॉनिक्स, एल्यूमीनियम और लेदर टॉयज कारोबार पर पड़ रहा है।यदि इंदौर रीजन से निर्यात की बात करें तो सबसे अधिक प्रभाव पीथमपुर की औद्यौगिक ईकाईयों पर हुआ है। यहां से करीब १५०० ईकाईयां हैं जिनसे बड़ी मात्रा में निर्यात किया जाता है। स्पेशल इकॉनॉमी जोन (सेज) में फार्मा की ५० बड़ी कंपनियां उत्पादन करती हैं और पूरा निर्यात ही करती हैं। इन सभी का रिफंड अटका हुआ है।
जीएसटी लागू होने के बाद से निर्यातकों को रिफंड मिलने में काफी परेशानी आ रही है। काउंसिल ने पिछले दिनों सात दिन का जीएसटी क्लीयरेंस शिविर लगाया था, जिससे कुछ पैसा मिला है लेकिन अभी भी अधिकांश राशी नहीं मिल सकी है। रिफंड को लेकर जो पेचिदगियां है उन्हें आसान करने की जरूरत है। केंद्र और राज्य सरकार के जिम्मेदारों के बीच तालमेंल की कमी के कारण यह परेशानी आ रही है।
राजीव भाटीया
क्षेत्रिय निदेशक, फिओ
11 महीने से अधिक का समय बीतने के बाद भी जीएसटी को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है। निर्यातकों के रिफंड को लेकर केंद्र और राज्य सरकार के नोडल विभाग की उदासीनता के कारण यह हालात बन रहे हैं। सरकार ने सारी व्यवस्था ऑनलाइन करने की बात कही है, लेकिन कुछ काम अभी भी मैन्युअल हो रहे हैं जिससे परेशानी आती है।
सोमनाथ शिंदे जीएसटी विशेषज्ञ
जीएसटी लागू होने के बाद से निर्यातकों को काफी परेशानी हो रही है। जुलाई के बाद से हमारी कंपनी का करीब ७ करोड़ रुपए का रिफंड अटका था, लंबी मशक्कत के बाद दो दिन पहले 2.50 करोड़ रुपए मिले है। 4.50 करोड़ रुपए अभी भी बाकी है। हालात पहले से सुधरे हैं लेकिन काउंसिल रिफंड को लेकर आ रही तकनीकि समस्याओं का जल्द निराकरण करे तो बेहतर होगा।
संदीप वर्मा एमडी, मान एल्यूमीनियर लिमिटेड, पीथमपुर
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